‘भरखमा’ फगत तीन कहाणियां रो संग्रै। लंबी कहाणियां रो संग्रै राजस्थानी में पैली बार। आ लंबाई ई सायास कोनी अनायास अर जरूरत मुजब है। अै तीनूंं कथानक अर आं री अन्तर्वस्तु इण लंबाई री मांग करै। आं कहाणियां री दूजी खासियत है- रोचकता। रोचकता किणी रचना रो पैलो गुण हुया करै। ओ गुण आं तीनूं कहाणियां में ई मोकळो। पढणो सरू कर्यां पछै अै पाठक नै अैड़ो पकड़ै कै खुद नै पूरी पढाय’र ई छोड़ै। पाठक माथै रचना री आ पकड़ ई किणी पोथी री पठनीयता रो सबूत होवै। पठनीयता किणी रचना रो आणंद पख होवै जिको आं कहाणियां में खूब है।
दूजो पख होवै उपयोगिता। इयां कै रचना रो समाज रै काम आवणो। तो ओ पख ई आं कहाणियां में पुरजोर तरीकै सूं आयो है। अै तीनूं ई कहाणियां प्रेम नै बचावण सारू लड़ै, जिको जीवण रो मूळ तत्व होवै। इण अरथ में अै कहाणियां जीवण नै बचावण री जंग है, जिणनै जितेन्द्र कुमार सोनी घणै रचनात्मक तरीकै सूं लड़ी है। गंगा दादी तो प्रेम रो सागर है, जिणनै लेखक आपरै हुनर सूं गागर मांय भरी है। कहाणी में जगां-जगां आयोड़ा कहाणीकार रा दार्शनिक वक्तव्य इण बात री साख भरै।
इण संग्रै री अेक और खासियत जकी कानी म्हैं पाठकां रो ध्यान खींचणो चावूं, बा है इणरै जरियै पैली बार राजस्थानी मांय महानगरीय परिवेस रो आवणो। इणसूं कहाणी संग्रै में नगर रै दाखलै सारू लेखक बधाई रो पात्र है। आस है इण नुंवै भांत रै संग्रै रो राजस्थानी में स्वागत होसी।
-रामस्वरूप किसान