रामस्वरूप किसान। 14 अगस्त 1952। हिवड़ै उपजी पीड़, कूक्यो घणो कबीर, आ बैठ बात करां, म्हैं अन्नदाता कोनी (कविता संग्रै)। गांव की गली-गली (हिंदी कविता संग्रै)। हाडाखोड़ी, तीखी धार, बारीक बात (कहाणी संग्रै)। सपनै रो सपनो (लघुकथा संग्रै)। राती कणेर (रवींद्रनाथ टैगोर रै बांग्ला नाटक ‘रक्त करबी’ रो राजस्थानी उल्थो)।
‘बारीक बात’ सारू बरस 2019 रो साहित्य अकादेमी पुरस्कार। ‘राती कणेर सारू बरस 2003 रो साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार। इणरै अलावा मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ पुरस्कार, कथा पुरस्कार, गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार, सृजन सम्मान अर बैजनाथ पंवार कथा पुरस्कार।
राजस्थान विद्यापीठ वि.वि. उदयपुर रै पाठ्यक्रम में कविता संग्रै ‘आ बैठ बात करां’, राजस्थान वि.वि., जयपुर अर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान रै पाठ्यक्रम में कहाणी ‘गाय कठै बांधूं’, ‘दलाल’ रो अंग्रेजी अनुवाद ‘द ब्रोकर’ क्राइस्ट यूनि. बैंगलोर (कर्नाटका) अर महात्मा गांधी यूनि. कोट्टायम (केरला) रै पाठ्यक्रम में सामल। ‘आ बैठ बात करां’ अर ‘हाडाखोड़ी’ संग्रै रा पंजाबी उल्था छप्या थका। राजस्थानी तिमाही ‘कथेसर’ रो संपादन। कामकाज: लेखन अर खेतीबाड़ी।
ठिकाणो: परलीका, वाया: गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) 335504,
कानाबाती: 9166734004, ई-मेल:
म्हैं अन्नदाता कोनी – कविता संग्रै – रामस्वरूप किसान
‘म्हैं अन्नदाता कोनी’ संग्रै उत्तर-आधुनिकता सूं धकै बधतो सूक्ष्म अर मनोवैज्ञानिक भावबोध नै प्रगट करै। किसान कनै बा दीठ है जकी मिनख रै ऊपरी खोळ नै भेदती थकी उणरै अंतर्मन तांई पूगै। संग्रै री कवितावां जीवन रा जका नवा-नवा, अबोट, अगम्य अर अज्ञेय कूणा-खचूणा सोध्या है, बै लाजवाब है। कविता रै मिस जीवन रै इण अनुसंधान में किसान रो वैज्ञानिक बेजां सफल रैयो है। किसान री कलम जीवन नै उणरी समग्रता में पकड़ै। अै कवितावां आज रै बाजार री नीत अर सर्वहारा नै भखण वाळी राजनीति रा पोत उघाड़ै, उणसूं मिनख नै सावचेत करै। -डाॅ. सत्यनारायण सोनी
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